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अकबर
की धार्मिक नीति
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a noble mien and great dignity. In his wrath he is
y .. majestic. १
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जहांगीर ने लिखा है कि उसका शरीराकार मध्यम था परन्तु कुछ लम्बा प्रतीत होता था । उसका गेहुंगा रंग था, उसकी बांखे व माहे काली थीं और उसका रंग रूप साफ होने की अपेक्षा कुछ सांवला था, उसका शरीर सिंह के समान था, छाती चौड़ी थी, उसके हाथ तथा मुजार लम्बी थीं । उसके नाक की बाई और एक मसा था, जो देखने मैं बड़ा बच्छा मालूम होता था तथा इसका बाकार बाथै मटर के बराबर था, कुछ व्यक्ति जो मुख लक्षण विद्या के ज्ञाता थे, इस मसे को समद्धता तथा भाग्यशाली होने का प्रतीक बताते थे । उसकी तेजस्वी आवाज बहुत ही प्रभाव शाली थी । बोलने तथा व्याख्यान करने मैं वह बहुत ही प्रवीण था । अपने कार्यों तथा स्वभाव में संसारी जीव नहीं था, वरन उसमें ईश्वरीय प्रकाश विधमान था
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उपरोक्त तक के आधार पर हम कह सकते हैं कि अकबर का व्यक्तित्व जानकर्णक था । वह घुटनों तक नीचा रेशमी अंगरखा पहनता था । जो कि स्वर्ण सूत्रों की बुनाई तथा फूल पत्तियों के आकर्षक कशीद से सुशोभित रहता था बोर एक बड़े फीते व्दारा वह उसे बांधता था । उसका पायजामा स्ट्टी तक पहुंचता था और उसमें मोती लगे रहते थे । मोती के गुच्छे से वह पायजामें को बांधता था । उसके जूते भी बनूठे बोर अपने ही ढंग के होते थे । वह आकर्षक पगड़ी बांधता था । उसकी पगड़ी बहुमूल्य मोतियाँ और रत्नों से सुशोभित रहती थी । पगड़ी बांधने के ढंग में हिन्दू और मुसलमान दोनों प्रणाली का सम्मिश्रण रहता था । वह पारसियों जैसी वेशभूणा मी पहनता था ।
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1- 81r Wolsehey Haig: The Cambridge History of India Vol. IV P. 155
2. Tuzuk-1-Jahangiri- Vol. I P. 34