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मकबर की धार्मिक नीति
कर्तव्य समझते है ।" "में प्रतिदिन एक छिपारा कुरान पढता हूं। पांना समय की नमाज पढ़ता।" उसके सम्पूर्ण जीवन में पार्मिक अनुरक्ति स्पर प्रतिक्षित होती है वह मुसलिम प्रजा को बत्यावधिक प्रेम करता था । क्योकि रण थार विज्य के सम्बन्ध में वह कहता है कि इस प्रकार के दस किलों को मुसलमानों के सवाल को हानि पहुंचा कर बैन के पदा में नहीं । " किन्तु सीदी माला की हत्या से उसकी पुरता प्रदर्शित होती है । मुछ मुसलिम इतिहास कार परनी, हसामी बादि इस कृत्य के लिये सूल्तान की बालोचना करते है परन्तु वास्तव में उसका दस्ड जपराय के योग्य था क्योकि वत्ती स्वयम् खिता है कि" विरंजतन कोतवाल और हधिया पायक रात रात पर सीपी के पास बैठ कर षडयंत्र रचा करते थे । १० इससे स्पष्ट है कि कालीन उसके दण्ड के लिये दोषी नही माना जा सकता है। बत: काधीन की धार्मिकता में कोई जांच नहीं पाती है। वास्तव में तो इस्लाम में उसकी अगाढ़ बारथा थी।
हिन्दुओं के प्रति व्यवहार में कालदीन की नीति भी बने पूर्व । शासको की अपवाद सिद्ध नहीं हुई । यपि सुल्तान सहदय एंव दयाल था किन्तु हिन्दुओं की मूर्ति पूजा बादि का तो वह कटटर विरोषी पा । बरनी लिखता है कि अकाली राज्यकार में बधामयाँ वमजावा। हिन्दुओं तथा नास्तिकों को किसी स्थान में प्रवेश करने की बाशा नहीं भी । ११ लालुद्दीन को पर वात वा का दुख: था कि वह हिन्दुओं
८. रिजवी खिनी कालीन भारत पृष्ठ १२
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