________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
अकबर की धार्मिक नीति
२०
creed to simple was obvious to the reproach of vagueness and emptiness the religion which was to have united all, pleased none. Akbar who had revolted so far from the intolerance of his ancestral creed, now impaired his own toleration by invidious ordinances against Muhammadan practices... this descendent of con querors who had treated all alien creeds with fierce contempt was warped into oppressing of all faith, the faith in which he was bred." 20.
प्रो० एस० वार० शर्मा के मतानुसार जयबर एक उच्च कोटि का राजनीतिज्ञ था और कहा करता था कि एक शासक के अधीन साम्राज्य मैं यदि जनता परस्पर विनत है और एक इधर जाता है और दूसरा उधर जाता है तो यह बड़ा दोष है । अत: हमको चाहिये कि
इस प्रकार कि वे
हम सब को एक करदे पर एकता के साथ एक और सम्पूर्ण हो, ताकि किसी धर्म के गुण से वे वंचित न रह जाये एक धर्म गुण के साथ साथ उन्हें दूसरे की की अच्छाई का भी लाभ मिल जाय इस प्रकार ईश्वर का सम्मान होगा, लोगों को शान्ति प्राप्त होगी बीई साम्राज्य की रक्षा होगी । २१
4A
डा० ए० एल० श्रीवास्तव का मत है कि दीन इलाही की स्थापना मै अकबर का महान राजनैतिक उद्देश्य यह था कि इसके द्वारा वह हिन्दू और मुसलमान धर्मों को मिला सके और मुगल साम्राज्य मे राजनैतिक एकता कायम कर सके । २२
Laurence Binyon
२१ एस. आर. शर्मा हिन्दी अनुवादक एम. एल.
२२
ए. रू. श्रीवास्तव
मुगल कालीन भारत पृ०
-
-
www.kobatirth.org
0
·
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private And Personal Use Only
Akbar - Short Biographies No. 21 PP 131-32 मे मुगल साम्राज्य पृ०२६८
शर्मा भारत
२०१
11:
W