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भूमिका
भारतवर्ष के इतिहास में जातिभेद का प्रश्न बड़ा विकट है । जातियों का यह भेद भारत में किस प्रकार विकसित हुवा, इसकी व्याख्या कर सकना बड़ा कठिन है। भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में इस ढंग का जातिभेद नहीं है । जातिभेद का विकास भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
इस विषय पर अनेक विद्वानों ने खोज करने का प्रयत्न किया है। श्रीयुत इव्वट्सन, श्रीयुत नेस्फील्ड, श्रीयुत सेनार, श्रीयुत रिसले, श्रीयुत क्रुक, श्रीयुत इलियट और श्रीयुत एन्थोवन इनमें मुख्य हैं । इन विद्वानों ने भारत की विविध जातियों को श्रेणिबद्ध करने, उनके विविध रीति रिवाजों को संगृहीत करने तथा उनमें प्रचलित विविध अनुश्रुतियों और दन्तकथाओं को उल्लिखित करने के सम्बन्ध में बड़ा उपयोगी कार्य किया है। साथ ही, जातिभेद के विकास के क्या कारण थे, इस पर भी उन्होंने विशद-रूप से विचार किया है । पर अभी इस सम्बन्ध में बहुत कार्य की गुञ्जाइश है। यह विषय इतना विस्तृत और जटिल है, कि अभी इस पर बहुत अधिक कार्य की आवश्यकता है। ___जातिभेद की समस्या पर विचार करने का एक बहुत अच्छा ढंग यह है, कि हम एक एक जाति को पृथक् रूप से लें, उनमें जो किम्बदन्तियां व अनुश्रुतियां प्रचलित हैं, उनका संग्रह करें । अन्य ऐतिहासिक सामग्री का भी उपयोग कर उस एक जाति की उत्पत्ति तथा विकास के विषय को स्पष्ट करने का प्रयत्न करें। इस पद्धति से कुछ जातियों के इतिहास लिखे भी गये हैं । पर जब तक भारत की अधिकांश जातियों के इतिहास इस पद्धति से तैयार न कर लिये जायेंगे, जातिभेद का प्रभ हल न हो सकेगा।
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