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अग्रवाल जाति की उत्पत्ति इस नीति का परिणाम यह होता था, कि बड़े बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का विकास हो जाने पर भी गण राज्यों की सत्ता कायम रहती थी। उनमें अपनी पृथक् अनुभूति बनी रहती थी। राजनीतिक दृष्टि से पराधीन होते हुवे भी सामाजिक जीवन में वे स्वाधीन रहते थे। यही कारण है, कि बड़े बड़े सम्राटों के शासनकाल में भी ये पुराने गणराज्य अपना आर्थिक व सामाजिक जीवन स्वतन्त्र रूप से बिताते थे । पुराने भारत में लोकसत्तात्मक ( Democratic ) शासन थे वा नहीं, इस प्रश्न पर यहां विवाद करने से क्या लाभ ? पर यह तो स्पष्ट है, कि साम्राज्यों के जमाने में जब दुनिया में कहीं भी जनता का शासन न था, भारत में इस नीति के कारण से छोटे छोटे गण राज्य आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में स्वयं अपने मालिक थे। आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में लोकतन्त्र शासन (Democracy) यहां तब भी विद्यमान थे।
शक्तिशाली साम्राज्यों के अधीन अपना पृथक् जीवन बिताते हुवे, 'स्वधर्म' का अनुसरण करते हुवे इन गणराज्यों में अपनी पृथक् अनुभति बनी रही। यह बात बड़े महत्व की है। जब भी इन्हें मौका मिला, साम्राज्यशक्ति जरा भी निर्बल हुई, अपनी राजनीतिक स्वतन्त्रता पुनः प्राप्त कर लेने में भी ये नहीं चूके। पर सदियों की निरन्तर अधीनता ने इन्हें राजनीतिक दृष्टि से बलहीन अवश्य कर दिया । अन्त में, इनकी राजनीतिक सत्ता सर्वथा नष्ट हो गई । केवल सामाजिक सत्ता रह गई । ये स्वतन्त्र गणों के स्थान पर जाति-बिरादरियां बन गई।
साम्राज्यों और गणों का संघर्ष भारतीय इतिहास में लगभग एक हजार वर्ष तक जारी रहा। मोटे तौर पर इस संघर्ष का काल शैशुनाग
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