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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास यह सम्भव नहीं है, कि इस पुस्तक में इन साम्राज्यवादी शक्तियों के मुकाबले में गण राज्यों के संघर्ष का वर्णन किया जा सके। पर यह निर्विवाद है, कि इन गण राज्यों में इतनी चेतना, आत्मानुभूति तथा शक्ति विद्यमान थी, कि मौर्य, शुङ्ग, कण्व, आन्ध्र, शक, कुशन आदि विविध वंशों के शक्तिशाली सम्राट कभी भी इन्हें पूर्णतया नष्ट न कर सके। ____ इनकी शक्ति का एक प्रधान हेतु भारतीय सम्राटों की सहिष्णुता की नीति ही थी। भारत के प्राचार्यों ने स्वधर्म' के सिद्धान्त पर बहुत जोर दिया है। जैसे प्रत्येक मनुष्य को 'स्वधर्म' का पालन करना चाहिये, वैसे ही साम्राज्य के प्रत्येक अंग प्रत्येक ग्राम, प्रत्येक कुल, प्रत्येक गण आदि को भी 'स्वधर्म' में दृढ़ रहना चाहिये । प्रत्येक के जो अपने व्यवहार, रीतिरिवाज, कानून आदि हैं, उनका उल्लंघन न करना चाहिये। यदि कोई इनका उल्लंघन करे, तो राजा का कर्तव्य है, कि उसे दण्ड दे और 'स्वधर्म पर दृढ़ रहने के लिये बाधित करे।" राजा जब अपना 'स्वधर्म' निश्चय करे तो, इन विविध अंगों के 'स्वधर्म' को दृष्टि में रखे,' अर्थात् ऐसा प्रयत्न करे, कि इनके 'स्वधर्म' का उल्लंघन राजा भी न करे। 1. कुलानि जातीः श्रेणारच गणान् जानपदान् अपि स्वधर्म चलितान् राजा विनीय स्थापयेत् पथि ।।
__ याज्ञवल्क्य स्मृति १, ३६० 2. जाति जानपदान् धर्मान् श्रेणिधर्माश्च धर्मवित् समीक्ष्य कुधलाश्च स्वधर्म प्रतिपादयेत् ॥
मनुस्मृति ८, ४१
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