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अगरोहा और उसकी प्राचीनता लिखता है । यह भी बताता है कि किसी समय इस नगर में सवा लाख घर थे, पर साथ ही वह अपने समय के सम्बन्ध में लिखता है, कि 'अब यह उजड़ गया है।"
ब!य्यी के समान ही एक अन्य यूरोपियन लेखक रेनेल ने, जो अंग्रेज था, भारत के भूगोल पर एक पुस्तक अठारहवीं सदी के अन्तिम भाग में लिखी थी। उसने अपने समय के भारत या हिन्दुस्तान का एक नकशा भी दिया है। इस नकशे में अगरोहा भी दिया गया है, और साथ ही रेनेल ने इस पुराने नगर के सम्बन्ध में कई ज्ञातव्य बातें भी लिखी हैं । बर्नोग्यी और रेनेल के ज़माने से बहुत पहले अगरोहा उजड़ चुका था, पर इसके पुराने महत्व से आकृष्ट होकर ही इन लेखकों ने अगरोहा का जिक्र किया है।
प्रसिद्ध अफग़ान सम्राट फीरोज़शाह तुग़लक ने हिसार फीरोज़ा की स्थापना की थी । यह हिसार फीरोजा या हिसार अगरोहा से केवल तेरह मील की दूरी पर है। इस नगर की स्थापना का हाल शम्साए-सिराज अफीफ नामक ऐतिहासिक ने विस्तार से लिखा है। सर इलियट ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ 'हिस्ट्री आफ इण्डिया एज डिस्क्राइब्ड बाइ इट्स आन हिस्टोरियन्स' का संकलन जिन ऐतिहासिकों के इतिहास ग्रन्थों के आधार पर किया है, उनमें शम्सा-ए-सिराज अफीफ भी 1. Bernoulli, Discription Historique et Geographique de l'Inde, ___Vol. I. p. 135. 2. J. Renell, Map of Hindostan, p. 65. 3. Elliot, The History of India, Vol. III. pp. 298-3000.
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