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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास ५२ है। पुराने भारतीय इतिहास में हमें यह प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से नज़र आती है, कि एक जाति के लोग अपने वास्तविक स्थान को छोड़कर दूसरी बस्तियां बसाते थे और उन्हें भी अपनी जाति के नाम से नाम देते थे। उदाहरण के तौर पर एक ही जाति ने मथुरा ( शौरसेन देश में ), मदुरा (पाण्डय देश में ) और मधुरा ( कम्बोडिया में ) बसाये । हो सकता है,कि अग्रवाल जाति ने भी अगरोहा के बाद आगरा और आगर की स्थापना की हो । गुजरात के अग्रवाल देर तक आगर में रहे हों और फिर वहां से अन्य स्थानों पर फैले हों । इसी प्रकार अग्रवालों के एक भाग ने आगरा में बस्ती बसा कर उसे अपना नाम दिया हो,
और फिर वहां से वे अन्य स्थानों पर जाकर बसे हों। उत्तरी गुजरात के अग्रवाल तो आगर को तीर्थस्थान भी मानते हैं, और वहां दर्शनों के लिये आते हैं । इसमें सन्देह नहीं, कि 'अगरोहा के समान ही आगर भी एक अत्यन्त प्राचीन स्थान है, और वहां भी पुरानी इमारतों के खंडहर विद्यमान हैं । पर भाटों की कथा तथा अग्रवाल जाति में प्रचलित किंवदन्तियों के आधार पर अग्रवालों का आदिम निवासस्थान अगरोहा
को ही स्वीकार करना उचित है। वहीं से अग्रवाल जाति का विस्तार हुआ।
आजकल अगरोहा उजड़ा हुआ है। अब ही नहीं, अब से १५० वर्ष पहले अठारहवीं सदी में भी अगरोहा इसी तरह उजाड़ था। बर्नोय्यी ( Bernaulli ) नाम के एक फ्रेंच यात्री ने सन् १७८१ में अपनी भारत यात्रा के सम्बन्ध में एक पुस्तक लिखी थी। उसने अगरोहा का भी हाल लिखा है । वह इसके प्राचीन वैभव की कथा
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