________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अग्रवाल इतिहास की सामग्री
इनका भी यदि विवेचनात्मक रूप में उपयोग किया जाय, तो अनेक उपयोगी बातें ज्ञात हो सकती हैं ।
दुर्भाग्यवश, अग्रवाल इतिहास के लिये कोई शिलालेख, सिक्के, ताम्रपत्र आदि अभी तक उपलब्ध नहीं हुवे। अग्रवाल जाति का प्राचीन निवास स्थान, अगरोहा नगर, जहां अग्रवालों का अपना स्वतन्त्र राज्य था, इस समय खण्डहर रूप में पड़ा है, और उसकी सब पुरानी इमारतें तथा अन्य अवशेष इस समय पृथ्वी के नीचे दबे पड़े हैं। इनकी खुदाई का प्रारम्भ सन् १८८९ में हुआ था, पर दुर्भाग्यवश रुपये की कमी के कारण उसे जारी न रखा जा सका । जितनी खुदाई हुई, उसमें ही बहुत सी छोटी बड़ी मूर्तियां, सिक्के तथा अन्य प्राचीन चीजें उपलब्ध हुई। सब से पुराने सिक्के कुशान युग के ( अब से लगभग १९ शताब्दि पुराने ) हैं । यदि इस खुदाई को पुनः शुरू किया जाय, तो अग्रवाल इतिहास के लिये बहुत सी उपयोगी सामग्री प्राप्त होने की सम्भावना है । किसी देश, राज्य व जाति का वस्तुतः प्रामाणिक इतिहास तब तक तैयार नहीं हो सकता, जब तक शिलालेख, सिक्के आदि ठोस सामग्री प्राप्त न हो । केवल पुरानी ऐतिहासिक अनुश्रुति व साहित्यिक साधनों से जो इतिहास बनता है, वह पूर्णतया प्रामाणिक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इनमें अशुद्धि होने तथा बहुत सी बातों के कल्पनात्मक होने की आशङ्का सदा बनी रहती है।
इस ग्रन्थ में अग्रवाल जाति का जो प्राचीन इतिहास, हम दे रहे हैं, उसका मुख्य आधार अनुश्रुति-उरु चरितम् और अग्रवैश्य वंशानुकीर्त्तनम् में उल्लिखित और भाटों द्वारा सुनाई हुई–ही है। जब तक
For Private and Personal Use Only