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अग्रवाल जाति का इतिहास जी ने भाटों के सुने हुवे वृत्तान्त के आधार पर अपनी ओर से भी बहुत से गीत बनाकर इस पुस्तक में दिये हैं।
हमने स्वयं भी कुछ भाटों को आमन्त्रित कर उनसे पुराने गीतों को सुना। यद्यपि इनके वृत्तान्तों में परस्पर बहुत मतभेद है, तथापि ये एक प्रकार के हिन्दी या बांगरू भाषा के नये जमाने के पुराण हैं । इनका यदि विवेचनात्मक दृष्टि से उपयोग किया जाय, तो बड़ा लाभ हो सकता है।
( ४ ) ग्राम्य गीत–पूर्वीय पंजाब में बहुत से ऐसे गीत प्रचलित हैं, जो ऐतिहासिक दृष्टि से बड़े उपयोगी हैं । उदाहरणार्थ, शीलो और राजा रिसालू की कथा, जो गीत रूप से हरयाना के देहातों में गाई जाती है। इस कथा का ग्रामों में बड़ा प्रचार है । रिसाल सियालकोट का राजा था। उसका दीवान महिता था, जिसका विवाह अगरोहा के हरवंश सहाय की कन्या शीला के साथ हुआ था। इन्हीं को लेकर यह कथा बनी है, और अग्रवाल जाति के इतिहास के साथ इसका गहरा सम्बन्ध है । इस कथा को श्रीयुत् टैम्पल ने संगृहीत कर पुस्तक-रूप में भी प्रकाशित किया है ।
भारतीय इतिहास के पुनः निर्माण में इन ग्राम्य- कथाओं का भी बड़ा उपयोग है । यद्यपि इनमें बहुत कुछ कल्पना से काम लिया जाता है, और सत्य का अंश बहुत कम होता है, तथापि इनका आधार ऐतिहासिक सचाई पर आश्रित रहता है। भाटों के गीतों के समान ही
1. R. C. Temple-Legends of panjal).
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