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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
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- "यह
( १ ) महालक्ष्मीव्रत कथा या अग्रवैश्य वंशानुकीर्तनम् - यह संस्कृत का एक हस्तलिखित ग्रन्थ है । हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध लेखक व कवि भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र ने ' अग्रवालों की उत्पत्ति' नाम से जो छोटी-सी पुस्तिका लिखी थी, उसकी भूमिका में उन्होंने लिखा थावंशावली परंपरा की जनश्रुति और प्राचीन लेखों से संगृहीत हुई है, परन्तु इसका विशेष भाग भविष्य पुराण के उत्तर भाग के श्री महालक्ष्मी व्रत कथा से लिया गया है ।" भारतेन्दु जी के पीछे कई विद्वानों ने यह प्रयत्न किया कि इस भविष्योत्तर पुराणान्तर्गत श्री महालक्ष्मी व्रत कथा को प्राप्त करने का प्रयत्न करें । पर उन्हें सफलता नहीं हुई । श्री महालक्ष्मी व्रत कथा नाम से एक दो पुस्तिकायें छप कर भी प्रकाशित हुई हैं, और इस नाम की अनेक हस्तलिखित पुस्तकें बनारस के सरस्वती भवन पुस्तकालय, मद्रास और पूना के संस्कृत पुस्तकालयों तथा लण्डन at after फस लाइब्रेरी में हैं । पर इनमें अग्रवाल वैश्यों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं है । इनमें एक ऐसे राजा का वर्णन अवश्य है, जिसने महालक्ष्मी की उपासना कर उत्कर्ष को प्राप्त किया था । उसकी कथा राजा अग्रसेन की कथा से कुछ समता भी अवश्य रखती है, पर महालक्ष्मी व्रत कथा की इन हस्तलिखित प्रतियों में अग्रवंश का कहीं वर्णन नहीं है, और न ही राजा अग्रसेन का नाम आता है । हमने भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र के निजू पुस्तकालय में जाकर खोज की। उनके वंशज श्री डा० मोतीचन्द्र जी एम० ए०, पी-एच० डी० ने कृपापूर्वक इस पुस्तक को ढूंढ निकालने के लिये बड़ा श्रम किया, और अन्ततः हमें सफलता हुई । भारतेन्दु जी के निजू पुस्तकालय
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