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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास में मिले हुवे कानूनगो के खिताब का अनुमोदन किया गया, और उसे उनके वंश में स्थिर कर दिया गया। ___ इसी कुल से अग्रवालों के उन प्रसिद्ध परिवारों का उद्भव हुवा है, जो मेरठ में आजकल कानूनगो, पत्थरवाला, लालावाला और बांकेराय वाला आदि नामों से जाने जाते हैं ।
( श्री. चन्द्रराज भण्डारी कृत अग्रवाल जाति का इतिहास के अाधार पर)
शाह गोविन्द चन्द शाह गोबिन्दचन्द के पूर्वज लाला भवानीदास और लाला तारावंद थे, जो देहली में व्यापार करते थे। जब नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण कर उसे लूटा, तो इन्हें भी बहुत नुकसान पहुँचा, और इनकी सम्पत्ति नादिरशाह के हाथ लगी। इसके बाद इस कुल के लोग फर्रुखाबाद आये और वहां अपनी बिगड़ी हुई स्थिति को फिर संभाला। पीछे से इस परिवार के लाला रामलाल फर्रुखाबाद से लखनऊ चले गये और वहां के नबाबों के दरबार में उन्होंने बड़ी प्रतिष्ठा प्राप्त की।
___ इस काल के सब से प्रसिद्ध पुरुष गोबिन्दराम हुवे । ये अवध के दरबार में स्टेट ज्यूएलर नियत किये गये । अवध का सुप्रसिद्ध मयूर सिंहासन इन्हीं के द्वारा बनवाया गया था। इनके कार्य से प्रसन्न होकर नवाब ने इन्हें खिल्लत और शाह का खिताब प्रदान किया। यह खिताब इनके कुल में वंश परम्परागत रूप से अब तक चला आता है ।
(श्री चन्द्रराज भण्डारी के अग्रवाल इतिहास के आधार पर )
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