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अग्रवाल माति का प्राचीन इतिहास २४४ दिल्ली के अग्रवालों में लाला सीताराम का नाम भी उल्लेखनीय है । ये पिछले मुगल युग में बड़े प्रतापी पुरुष हुवे, और मुगल बादशाहत में खजानची के पद पर अधिष्ठित थे। दिल्ली का वर्तमान सीताराम बाजार इन्हीं की जीती जागती स्मृति है।
( दिल्ली डिस्ट्रिक्ट गजेटियर के आधार पर )
(४)
राजा रतनचन्द हम इस इतिहास के अनेक अध्यायों में राजा रतनचन्द का जिक्र कर चुके हैं। हमने यह भी प्रतिपादित किया है, कि राजाशाही अग्रवालों की पृथक् बिरादरी इन्हीं राजा रतनचन्द द्वारा बनी। ये राजा रतनचन्द कौन थे, और इतिहास में इनका क्या स्थान है, इस विषय पर प्रकाश डालने की आवश्यकता है ।
मुगल बादशाहत के पतन के युग में बादशाह जहांदारशाह ( सन १७१२ ) के विरुद्ध जब फर्रुखसियर ने विद्रोह का झण्डा खड़ा किया, तो उसका साथ देने वालों में मुजफ्फरनगर ( यू० पी० ) जिले के सैयद बन्धु प्रमुख थे । इस काल के इतिहास में इन सैयद बन्धुओं-- सैयद अब्दुल्लाखां और सैयद हुसैन अलीखां-का बड़ा महत्व है। जहांदारशाह को परास्त कर फर्रुखसियर स्वयं बादशाह बन गया, और उसके साथ ही सैयद बन्धुओं की बड़ी उन्नति हुई। धीरे धीरे वे मुगल बादशाहत के कर्ता धर्ता बन गये। वे मुगल बादशाहत को अपने इशारे पर नचाते थे । जिसे चाहते थे, राजगद्दी पर बिठाते थे, जिसे चाहते थे,
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