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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
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इस वंश के पूर्वज भी ऊँचे राजकीय पदों पर काम करते थे । सब से पहले इस कुल के पूर्वज काश्मीर स्टेट में दीवान रहे। वहां उनका बड़ा प्रभाव एवं सम्मान था। किसी कारण वश उन्हें काश्मीर छोड़कर आना पड़ा। उन्हीं के वंश में लाला हट्टीराम जी हुने । वे जींद स्टेट में दीवान रहे । उनके पुत्र लाला डूंगरमल जी और लाला नरसिंह जी
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हुवे । इन दोनों भाइयों ने भी जींद स्टेट की दीवानी के पद पर कार्य
• किया | दीवान नरसिंह के पुत्र दीवान जयसिंह थे, जो पहले जींद में ही
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नथे । फिर वे देहली आ गये और शाह आलम के शासन में तोपखाने के अफसर नियत हुये । इसी कारण इस खानदान का नाम तोपखाने वाला पड़ा ।
ग. गुड़वालों का खानदान
दिल्ली के अग्रवाल परिवारों में गुड़वालों का खानदान भी बड़ा प्रसिद्ध है । इस खानदान का प्रारम्भ उस समय हुवा था, जब सन् १७३२ में अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर आक्रमण किया था। दिल्ली की दशा उस समय बड़ी अस्तव्यस्त थी । उन दिनों इस परिवार के मुखिया लाला राधा किशन थे, जो बड़े प्रतापी और प्रतिभाशाली व्यक्ति थे । उन्होंने उस समय अपने कारोबार को बहुत बढ़ाया, और उनके कर्तृत्व के कारण ही अब तक यह परिवार बहुत समृद्ध तथा प्रतिष्ठित है 1
घ. लाला हरसुखराय
मुगल बादशाह शाह आलम के जमाने में लाला हरसुखराय बड़े प्रतापी महानुभाव हुवे | उन्होंने दिल्ली में अपना कारोबार खूब बढ़ाया ।
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