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मध्यकाल में अग्रवाल जाति
कुशलता से होने लगा। बिहार प्रान्त में आजकल डुमरांव और टीकरी की रियासतें बड़ी प्रसिद्ध हैं, इनके पूर्वज राजा ख्यालीराम के कर्मचारी ही थे । राजा ख्यालीराम के आधीन सेवा करते हुवे ही इन रियासतों के संस्थापकों ने अपनी भावी उन्नति की नींव डाली। राजा ख्यालीराम की पुराणी वंशक्रमागत जागीर इलाहाबाद जिले के महगांव परगने में थी । अंग्रेजों का पक्ष लेने मे वह जागीर मुगल बादशाह ने जब्त करली थी । लार्ड क्लाइव ने सम्राट शाहआलम को विवश किया, कि महगांव की इस जागीर को राजा ख्यालीराम को वापिस करदे ।
राजा ख्यालीराम बड़े शक्तिशाली, योग्य और चाणाक्ष पुरुष थे 1 बिहार में उन्होंने जो शक्ति प्राप्त की, वह वस्तुतः बड़ी अद्भुत थी। उनका वैयक्तिक जीवन बड़ा ऊंचा और धर्ममय था । एक लेखक ने उनके सम्बन्ध में एक कथा दी है, जो बड़े महत्व की है। एक बार की बात है, कि कोई मुसलमान अपने बच्चों के साथ फारस से भारत आया और अजिमाबाद में ठहरा। राजा ख्यालीराम भी तब वहीं रहते थे । वह फारसी मुसाफिर बड़ा थका हुवा था । उसके चार बच्चे भी उसके साथ में थे। रात को वह अचानक बीमार पड़ गया, और सुबह तक उसकी मृत्यु भी हो गई । बच्चे अनाथ हो गए। मुसाफिर के पास जो I सम्पत्ति थी, उस पर कब्जा करने के लिये फौजदारी महकमे के आफिसर सुबह ही आ पहुँचे । उन्होंने बड़ी निर्दयता के साथ सारे माल असबाब को अपने कब्जे में कर लिया। बेचारे अनाथ बच्चे सर्वथा ही असहाय हो गए । जब यह समाचार राजा ख्यालीराम को मालूम हुवा, तो वह उन बच्चों को अपने घर ले आया, और अपने ही बच्चों के समान उनका
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