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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास २३. के आक्रमण कई सदियों तक जारी रहे। धीरे धीरे राजपूतों की शक्ति भी मन्द पड़ने लगी, और भारत का बड़ा भाग विविध मुसलमान कुलों के अधीन हो गया। इस काल तक भारत के प्राचीन गणराज्य पूर्णतया जाति के रूप में परिवर्तित हो चुके थे। वार्ताशस्त्रोपजीवि गणों की शस्त्रोपजीविता सर्वथा नष्ट हो चुकी थी, वार्ता ( कृषि, पशुपालन और वाणिज्य ) में ही उन्होंने विशेष उन्नति कर ली थी। अगरोहा के ध्वंस के बाद अग्रवाल लोग जब अन्य स्थानों पर बस रहे थे, तो स्वाभाविक रूप से उनका संसर्ग उस समय की राजनीतिक शक्तियों के साथ हुवा। यही कारण है, कि कुछ अग्रवाल अपनी प्रतिभा और योग्यता के कारण ऊँचे ऊँचे राजकीय पदों पर अधिष्ठित हुवे। सौभाग्यवश, इनका कुछ कुछ परिचय इस समय भी प्राप्त किया जा सकता है । यद्यपि अग्रवालों के प्राचीन इतिहास के साथ इनका कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है, पर अग्रवाल जाति के इतिहास में इनका उल्लेख किया जाना उपयोगी है। इसी दृष्टि से यहां हम कुछ ऐसे प्रतापी अग्रवालों का संक्षिप्त परिचय देने का प्रयत्न करेंगे, जिन्होंने अपनी शक्ति व योग्यता से मध्यकालीन भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।
इस सम्बन्ध में जो भी परिचय हम यहां दे रहे हैं, उसका मुख्य आधार बृटिश सरकार द्वारा प्रकाशित डिस्ट्रिक्ट गेजेटियर हैं । सरकार द्वारा प्रकाशित गेजेटियरों में प्रत्येक जिले के मुख्य मुख्य परिवारों का परिचय दिया गया है । स्वाभाविक रूप से इनमें वर्तमान प्रमुख परिवारों के उन पूर्वजों का भी जिक्र है, जिन्होंने कोई असाधारण कार्य कर कीर्ति को प्राप्त किया था। डिस्ट्रिक्ट गेजेटियरों के अतिरिक्त, अन्य भी कुछ
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