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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
फीसदी और करनाल जिले में ६|| फीसदी हैं। इसी प्रकार संयुक्त. प्रांत के पश्चिमी जिलों में अग्रवालों की संख्या बहुत ज्यादा है। मेरठ जिले में कुल अग्रवाल ५२००० (४॥ फीसदी) हैं। मुजफ्फरनगर में भी उनकी संख्या कुल आबादी की ४|| फीसदी है । मथुरा में अग्रवालों की संख्या २८४९४ ( ३॥ फीसदी), आगरा में २९३११ ( ३।। फीसदी)
और बुलन्दशहर में ३४७५४ (४। फीसदी ) है। इसी तरह संयुक्तप्रान्त के अन्य पश्चिमी जिलों में उनकी संख्या बहुत है। पहले अग्रवाल लोग अगरोहा में रहते थे, वहां से जाकर वे धीरे-धीरे अन्य स्थानों पर बसने शुरू हुवे । यही कारण है, कि इस प्रदेश में उनकी संख्या अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक है।
अगवालों के भेद-अग्रवाल जाति के कई भेद हैं । ये भेद मुख्यतया देश, धर्म और नसल के ऊपर आश्रित हैं । अग्रवाल समाज में इन भेदों का काफी महत्व है, अतः इन पर कुछ विस्तार से विचार करने की आवश्यकता है। - (१) देश भेद से अग्रवालों में सब से महत्व का भेद मारवाड़ी तथा दूसरे अग्रवालों का है । दूसरे अग्रवाल 'वैश्य अग्रवाल' या 'देशवाली अग्रवाल' कहाते हैं । अगरोहा का ध्वंस होने पर जब अग्रवाल लोग अन्य स्थानों पर जाकर बसने लगे, तो उनका एक बड़ा भाग दक्षिण में राजपूताना की तरफ चला गया । वे मारवाड़ में जाकर बस गये, और मारवाड़ी अग्रवाल कहाने लगे। भारत के मध्यकालीन इतिहास में मारवाड़ का व्यापारिक दृष्टि से बड़ा महत्व था । अफग़ान और मुग़ल शासकों की राजधानी दिल्ली थी। दिल्ली से जो रास्ता पश्चिमी
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