________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास गया है। कौटिल्य के अर्थों में अग्रवाल लोग 'वातोपजीवि' हैं । किसी प्राचीन परम्परा का अनुसरण करते हुये या धर्म-शास्त्रों की व्यवस्था के अनुसार अग्रवाल लोग अपने नामों के साथ प्रायः 'गुप्त' लगाते हैं ।
जन-संख्या -अग्रवाल लोगों की कुल आबादी कितनी है, यह निश्चय करना सुगम नहीं है । भारतीय सरकार की तरफ से प्रति दसवें वर्ष जो मर्दुमशुमारी की जाती है, उसमें सब प्रान्तों में उनकी संख्या पृथकरूप से नहीं दी गई। कई प्रान्तों में वैश्य या बनिया जाति की इकट्ठी जनसंख्या दे दी गई है । वैश्यों में से कितने अग्रवाल हैं, और कितने दूसरे वैश्य, यह जान सकना सम्भव नहीं । श्रीयुत् बेन्स के अनुसार अग्रवालों की कुल संख्या ५५७६०० है । पर यह संख्या ठीक नहीं है । मर्दुमशुमारी की रिपोर्टों के अनुसार विविध प्रान्तों में अग्रवालों की संख्या इस प्रकार हैपंजाब (सन् १९३१)
३७९०६४ संयुक्त प्रान्त ( सन् १८९१)
३०८२७७ राजपूताना (सन् १९३१)
९१२७४ ( सन् १९३१)
१८२९६ दिल्ली (सन् १९३१)
२५३८० मध्य प्रान्त ( सन् १९११)
२५००० मध्य भारत ( सन् १९११)
२५७२८
सर्व योग ८७३०१९ 1--कृषि पशु पाल्ये वणिज्या च वार्ताः---कौटलीय अर्थशास्त्र ११४
-~-'गुप्तेति वैश्यस्य-पाराशर १६--४ - ---Baincr. Ethhography ( Castes विषयक Tables देखिये )
बङ्गाल
For Private and Personal Use Only