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उरु चरितम्
तवापि सुरुचिकर ध्यानेन शणु सत्तम ||८|| प्रारब्धं हरिहरेण गोडेनेत्थं स्वया गिरा । सृष्टयादौ....ब्रह्मा पूर्व जातः पितामहः ॥६॥ चतुर्वेदपरिज्ञाता प्रागिामात्रोद्भवः स्मृतः ब्रह्मणस्तु विवस्वान् वै ततो मनुरजायत ॥१०॥ वर्णानामाश्रमाणां च क्रमशः स्थापको मनुः तस्य पुत्रद्वयं जातं नेदिष्टश्च इला तथा ॥११॥ इलातः क्षात्रवंशस्य प्रारम्भो हि तदाह्यभूत् गदिष्टादनुभागो वै ततो जातः भलन्दनः ॥१२
सुरुचिकर है । अतः तुम्हें इसका श्रवण ध्यान के साथ करना चाहिये । ५-८
इस प्रकार गौड़ हरिहर ने अपनी वाणी से कहना प्रारम्भ किया
सृष्टि के आदि में सब से पूर्व ब्रह्मा उत्पन्न हुवा, जो सबका पितामह है, जो चारों वेदों का परिज्ञाता है, और सारे प्राणी जिससे उत्पन्न हुवे कहे गये हैं । उस ब्रह्मा से विवस्वान् और फिर उससे मनु उत्पन्न हुवा । ९-१०
सब वर्णों और आश्रमों का संस्थापक मनु हुवा है। उसके दो संतान थे-नेदिष्ट और इला । ११
इला से सब क्षात्र वंशों का प्रारम्भ हुवा । नेदिष्ट से अनुभाग और अनुभाग से भलन्दन उत्पन्न हुवा । १२
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