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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
वाणी पावकोऽनिल केशवाः
विभुर्विराचनो
[ सत्यं च धर्मे च युग....च
भूतानुकम्पा प्रियवादितां च
द्विजाति सेवातिथिपूजनं च
वैकुठ.... मुनिनारदोक्ताः ]
विशालरक्तो धन्वी च धामापामा पयोनिधिः
कुमारो दवनो माली मन्दोकन कुण्डली ॥१४२ कुशो विकाशो विरणां विनोदो वपुनो बली
बीरो हरो रवो दन्ती दाडिमीदन्तसुन्दरौ ॥१४३ करो खरो गरः शुभ्र: पलशोनिल सुन्दरी
१७४
एरण, धरण, टिंगल, तिंगल, गोभिल, मीतल, तायल, तुन्दल | आधा गोत्र गवन है । ये साढ़े सतरह गोत्र हैं । १४१
[ सत्य, धर्म, भूतों पर दया, प्रिय भाषण, द्विजातियों की सेवा और अतिथियों की सेवा - ये बातें स्वर्ग की ( साधिका ) हैं, ऐसा मुनि ने कहा है
नारद
। ]
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के पुत्र निम्नलिखित हैं- ) विभु विरोचन, वाणी, पावक, अनिल, केशव, विशाल, रक्त, धन्वी, धामा, पामा, पयोनिधि कुमार, दवन, माली, मन्दोकन, कुण्डल, कुश, विकाश, विरण, विनोद, वपुन, बली, वीर, हर, रव, दन्ती, दाडिमीदन्त, सुन्दर, कर, खर, गर, शुभ, पलश, अनिल सुन्दर, धर, प्रखर, मल्लीनाथ, नन्द, कुन्द, कुलुम्बक,
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