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अगरोहा पर विदेशी आक्रमण यह पहचान ठीक है, तो भाटों के गीत एक बहुत पुरानी ऐतिहासिक घटना का स्मरण दिलाते हैं। पर इस पहचान में एक कठिनाई भी उपस्थित होती है। यह कठिनाई अगलस्सि की भौगोलिक स्थिति के सम्बन्ध में है । इसमें सन्देह नहीं, कि अगलस्सि गण शिवि गण के पूर्व में था। पर यदि, जैसा कि सां मती ने लिखा है, कि उन लोगों का निवासस्थान हाईडेस्पस ( झेलम ) और अकिसनीज ( चनाब ) नदियों के संगम के समीप पूर्व की ओर था, तो वे उस जगह से कुछ दूरी पर थे, जहां अब अगरोहा के खण्डहर पाए जाते हैं। पर इस सम्बन्ध में हमें यह ध्यान रखना चाहिए, कि अलेग्जेण्डर के आक्रमण का वृतान्त लिखने वाले ग्रीक ऐतिहासिकों के विवरण बहुत कुछ अस्पष्ट हैं । मिक्रण्डल ने स्वयं लिखा है, कि अनेक बातों की तो संगति लगा सकना भी कठिन है । अगरोहा सतलुज नदी के पूर्व दक्षिण में है। हो सकता है, कि उस समय अगरोहा का राजनीतिक प्रभाव सतलज के पश्चिम में भी विस्तृत हो, ग्रीक वृत्तान्तों के अनुसार अगलस्सि बड़ा शक्तिशाली राज्य था । अलेग्जेण्डर का उन्होंने बड़ी वीरता से मुकाबला किया था। कोई आश्चर्य नहीं, कि उस युग में उनका प्रभुत्व अगरोहा से पश्चिम की
ओर दूर तक फैला हुवा हो । महाभारत में भी आग्रेय गण के बाद मालव गण का उल्लेख है। इसी मालव को ग्रीक लेखकों ने मल्लोइ लिखा है । अलेग्जेण्डर ने मध्य पंजाब के इस शक्तिशाली राज्य मझोइ या मालव को जीता। उसके बाद वह पूरब में सीधा अगलस्सि या
1. McCrindle, The Invasion of Trdia hy Alexander the great.
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