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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
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ग्रीक लेखकों द्वारा लिखे हुवे ये अगलस्सि लोग कौन थे ? इस सम्बन्ध में अनेक मतभेद हैं । मिक्रन्डल के अनुसार अगलस्सि प्रार्जुनायन का ग्रीक रूप है । आर्जुनायन गण का उल्लेख पाणिनि की अष्टाध्यायी और अलाहाबाद में उपलब्ध समुद्रगुप्त प्रशस्ति में मिलता है । श्रीयुत काशी प्रसाद जायसवाल ने अगलस्सि को अग्रश्रेणि से मिलाया है । उन्होंने कौटलीय अर्थशास्त्र के 'वार्ताशस्त्रोपजीवि' संघों में परिगणित 'श्रेणि' को लेकर यह कल्पना की है, कि आणि नामक राज्य के एक से अधिक भाग थे । जो मुख्य श्रेणि गण था, उसे अग्रश्रेणि कहते थे और ग्रीक लेखकों का अगलस्सि यही अग्रश्रेणि या मुख्य श्रेणि राज्य है। मेरी सम्मति में ये दोनों पहचानें ठीक नहीं हैं । आर्जुनायन और अगलस्सि में कोई समता नहीं है । भाषा-शास्त्र की दृष्टि से ये दोनों एक नहीं कहे जा सकते । जायसवाल जी की कल्पना बड़ी अद्भुत है। इसमें सन्देह नहीं कि श्रेणि नाम का गणराज्य प्राचीन भारत में विद्यमान था । हमने ऊपर प्रदर्शित किया है कि इस गण के वर्तमान प्रतिनिधि सैनी जाति के लोग हैं । पर अगलस्सि की पहचान करने के लिये ही श्रेणि गण के अनेक भागों की कल्पना करना और उनमें प्रधान भाग को अग्रश्रेणि कहना कुछ युक्ति-संगत नहीं प्रतीत होता ।
मेरे विचार में ग्रीक लेखकों का अगलस्सि अग्रसैनीय ( अग्रसेन का ) या आग्रेय होना चाहिये। अगलस्सि निवासियों का नाम था और अगलस उस स्थान का । अगलस और अगरोहा में बड़ी समानता है। ल और र तथा स और ह भाषा शास्त्र की दृष्टि से एक ही हैं। यदि
1. K. P. Jayaswal - Hindu Pality, Part I. p. 73
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