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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
और कलि का प्रारम्भ हो चुका था ।
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इस तरह स्पष्ट है, कि महाभारत
युद्ध
की समाप्ति के बाद लगभग राजा जनमेजय के समय में राजा अग्र सेन गद्दी पर बैठे थे । अग्रवैश्यवंशानुकीर्तनम् के अनुसार राजा अग्रसेन को परीक्षित व जनमेजय का समकालीन समझना चाहिए।
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1. द्वापरस्यान्त कालेषु कलावादिगते सति ।
एक ओर ढंग से हम तिथिक्रम की समस्या पर विचार करते हैं । हम ऊपर लिख चुके हैं कि अग्रसेन का पूर्वज धनपाल वैशालक वंश के राजा विशाल का समकालीन था । विशाल की आठ कन्याओं का विवाह धनपाल के आठ पुत्रों के साथ हुवा था । पुराणों में प्राप्त विविध वंशाबलियों में जो समसामयिकता ( Synchronism ) पार्जिटर ने स्थापित की है, उसके अनुसार विशाल के समकालीन राजा कल्माषपाद (अयोध्या का राजा ) और धर्मकेतु ( काशी का राजा ) थे। पुराणों की वंशावलियों में ( पार्जिटर के अनुसार ) विशाल का नम्बर समय की दृष्टि से ५४ वां है। अतः भारतीय तिथिक्रम में धनपाल का लगभग यही स्थान होना चाहिए । धनपाल के बाद अग्रसेन का नाम २१ राजाओं के बाद आता है । यदि पुराणों की अन्य वंशावलियों के राजाओं से, जिनका समय हमें ज्ञात है, अग्रसेन की समसामयिकता स्थापित करके देखा जाय, तो त्रेता युग के प्रारम्भ में उसका काल हो सकना सम्भव ही नहीं है । वह द्वापर के समाप्त होने के बाद ही आवेगा । पौराणिक चतुर्युगी अग्र
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श्लोक १३१.
2. Pargiter Ancient Indian Historical Tradition
pp. 146-147
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