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राजा अग्रसेन का काल
यदि मंगसिर शनि पञ्चमी त्रेता पहले चर्ण ।
अग्रवाल उत्पन्न भए, सुनि भाखे शिवकर्ण ॥
इस दोहे में भाट शिवकर्ण अनुश्रुति के अनुसार यह बताता है, कि त्रेता युग के पहले चरण में मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पंचमी तिथि को शनिवार के दिन अग्रवालों की उत्पत्ति हुई । शिवकर्ण भाट की यह उक्ति व अनुश्रुति कहां तक सच है, इसकी समीक्षा करना बहुत कठिन है
पर सौभाग्य से, तिथिक्रम सम्बन्धी समस्या का निर्णय करने के लिये हमारे पास और भी साधन हैं । अग्रवैश्यवंशानुकीर्तनम् के अनुसार राजा अग्रसेन ने कलियुग संवत् के १०८ वे वर्ष तक राज्य किया ।' जब अग्रसेन ने राज्य त्याग किया, तब कलियुग को बीते १०८ वर्ष बीत चुके थे । एक अन्य स्थान पर इसी ग्रन्थ में लिखा है, कि राजा अग्रसेन ने अपने लड़के विभु को वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन राजगद्दी पर अभिषिक्त किया |2 इस प्रकार यह स्पष्ट है, कि अग्रवाल इतिहास के मुख्य आधार इस संस्कृत ग्रन्थ के अनुसार राजा अग्रसेन ने कलियुग संवत् १०८ में वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन अपने लड़के को राजगद्दी पर बिठाकर स्वयं राज्य कार्य से विश्राम पाया । एक अन्य स्थान पर इसी ग्रन्थ में लिखा है, कि जब अग्रसेन राजगद्दी पर बैठा, तो द्वापर युग समाप्त हो चुका था,
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1. तैस्सार्धं स भुजे राज्यं कलौ चाष्टाधिकं शतम् । श्लोक १४८
2. वैशाखे पूर्णमास्यां वै विभुं राज्येऽभिषिच्य च ।
श्लोक १५३
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