________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास १०८ कहीं उल्लेख नहीं । न ही गुप्त, वर्धन, नाग आदि ( जिन्हें बौद्ध ग्रन्थ मंजुश्री मूलकल्प ने वैश्य लिखा है और जिनका वंश वृत्त भी उनमें दिया गया है ) वैश्य वंश्यों का वर्णन है । वैशालक वंश का भी केवल निर्देश किया गया है । निःसन्देह, मार्कण्डेय पुराण में इस वंश का बहुत विस्तार से वर्णन है, पर यह वर्णन शुरू करने से पूर्व पुराण-लेखक ने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है, कि इस वंश के लोग वैश्य न होकर क्षत्रिय थे, केवल अगस्त्य के शाप से ही ये वैश्य हो गये थे।
'उरु चरितम्' के अनुसार धनपाल के आठ लड़कों का विवाह राजा विशाल की आठ कन्याओं के माथ हुवा था । इन कन्याओं के नाम निम्नलिखित हैं-- पद्मावती, मालती, कान्ति, शुभा, भव्यका, रजा और सुन्दरी । इन राजकुमारियों का अग्रवाल लोगों की दन्त-कथाओं में बड़ा महत्व है । ये अग्रवालों की आठ मातृकाएं मानी जाती हैं। जिस राजा विशाल की ये कन्यायें थीं, वह रपष्ट ही वैशालक वंश का प्रसिद्ध राजा विशाल
था । भागवत पुराण में विशाल को वंशकृत् कहा गया है, और यह भी लिखा है, कि वैशाली नगरी का निर्माण उसी ने किया था । निःसन्देह यह बड़ा शक्तिशाली राजा था । धनपाल उसका समकालीन था और उसके साथ विवाह-सम्बन्ध से संबद्ध था।
वैशालक वंश का वर्णन करते हुवे भागवत में एक राजा धनद का जिक्र आता है । वह तृणबिन्दु की कन्या इडविडा का लड़का था।
1. मार्कण्डेय पुराण अध्याय ११४-११५ .). विशालो वंशकृत् राजा वैशाली निर्ममे पुरीम् ।
भागवत पुराण Ix. 2. 33 3. तथा X.2. 32
For Private and Personal Use Only