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मळतुं नथी, (अर्थात् निगोदमां अनंतकाळ भ्रमण करे .) एज विषयनो उपसंहार करवा कहे छे. 'एवं' ए प्रमाणे भोगनो अभिआचालापी अंतरायवाळा काम भोगो जेमां अनेक प्रकारनां विघ्नो रहेलां छे, तेने चाहे छे, ते भोगो (न केवळ ते अकेवळ तेमांधी
सूत्रम थाय ते.) अकेवळीक, (द्वंद्व-जोडकांबाळो) छे. जेमनो प्रतिपक्ष पण छे, अथवा असंपूर्ण भोगो छे. जेने मेळववा पाछा संसारमा ॥६६८॥ पडे छे, अथवा (कामभोगने बीजीना बदले त्रीजीनो अर्थ लइए; तो,) ते कामभोगावडे भोगना अभिलाषीओ अतृप्त बनीनेज
६॥६६८॥ (वधारे भोगसुख लेवा जतां) शरीरनो नाश करे छे ज्यारे, ते रांको आम मरण पामे छे त्यारे, वीजा उत्तम साधुओ जेमनो ही मोक्षसमीप छे, तेवा क्यांय पण, कोइपण रीते कोइपण वखत चरणनो परिणाम आवतां लघुकर्मनां कारणथी दरेकक्षणे चडताभाववाळा बने छे, ते बतावे छे.
अहेगे धम्ममायाय आयाणप्पभिइसु पणिहिए चरे, अप्पलीयमाणे दढे सव्वं गिद्धिं परिन्नाय, एस पणए महामुणी, अइअच्च सबओ संगं न महं अस्थित्ति इय एगो अहं, अस्सि जयमाणे इत्थ विरए अणगारे सवओ मुंडे रीयंते, जे अचेले परिवुसिए संचिक्खइ ओमोयरियाऐ, से आकुठे वा हए वा लंचिए वा पलियं पकत्थ अदुवा पकत्थ अतहेहिं सदफोसेहिं इय संखाए एगयरे अन्नयरे अभिन्नाय तितिक्खमाणे परिवए जे य हिरी जेय अहिरीमाणा (सू० १८३)
सब-बबलवनॐ
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