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कल
आचाol
॥५०५॥
तेथी पांच विदेहमा दश थया, तेश्रो एम कहे . के, सत्तरसयमुक्कोस, इअरे दस समयखेतजिणमाणं । चोत्तीस पढमदीवे, अणंतरऽय ते दुगुणा ॥१॥
पूजा सत्कारने योग्य जेओ छे, ते अर्हत कहेवाय छे, तेओ अश्चर्ययुक्त भगवंतो छे. तेश्रोनी संख्या तेमना संबंधां ज्यारे । कोइ प्रश्न पूछे तेनो अर्थ उपर बताचे छे, मूत्रमा वर्तमानकाळनी बात छे, तेथी आ पण जाणवु, के आ प्रमाणे कयुं अने भविष्यमां ॥५०५॥ कहेशे, ए प्रमाणे सामान्यथी तीर्थकरो देव मनुष्यनी परखदामां अर्ध 'मागधी' मां बधा जीवो पोवानी भाषामां समजे तेम तेओ बोले छे, ए प्रमाणे प्रकर्षयी संशय दूर करवा माटे पामे रहेनारा साधु विगेरेने जीव अजीव आसव बन्ध संवर निर्जरा मोक्ष एडा सात पदार्थोने बताचे छे, (एटले जिनेश्वर देव सात पदार्थो वर्णन करे छे) ए प्रमाणे सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र जे मोक्ष मार्ग छे, तथा मिथ्यात्व अविरति प्रमाद कषाय योग ए चांच बन्धना हेतुओं छे. स्त्र अने परभाववडे छती अछती वस्तु तत्वने सामान्य वि-४ शेषरुप विगेरेना प्रकारथी बतावे छे, अथवा आ वां पदो एक अर्थवाळां छे, ते तीर्थकरो भुं बतावे छे ते कहे छे.
वां पाणीओ एटले पृथ्वी पाणी अग्नि वायु बनस्पति ए एकन्द्रिय छे, तथा वे त्रण चार पांच इन्द्रियोवाळा जीवो छे, तेमने इन्द्रिय ५ बळ ३ उच्छवास निश्वास. १ आयु १९ दश प्राण छे, माणो (संसारी) जीवोने पूर्वे हता हमणां छे, अने भविष्यमा रहेशे, तेथी पाणी कहेवाय छे तथा बीजी रीते चौद मेद जीबोना छे ते भूत ग्राम कहेवाय छे, अने वर्तमानमा बधा जीवो छे, जीवशे, अने पूर्वे जीवता हता, माटे जीव छे ते नारकी लियंच मनुष्य अने देव ए चार गतिवाला छे, तथा वधा ए जीवो पोतान
त पदार्थो वर्ग साधु विगेरेने जीवजीवो पोतानी भाषा अने भविष्यमा ।
कल
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