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सूत्रम्
॥२२२॥
PI शस्त्रपरिज्ञा नामर्नु पहेलुं अध्ययन जे घणुं गंभीर छे, तेनुं विवरण गंधहस्तिनामना श्रेष्ट आचार्ये कहेलुं छे तेमांथी हुं कंइकविशेष आचा०18 खुलासो करुं छु. ते पहेलं अध्ययन पूर्वे कही गया. हवे बीजं अध्ययन कहेवाय छे. तेनो आवीरीतनो संबंध छे.
| आ संसारमा मिथ्याख-उपशम-क्षय क्षयउपशम ए त्रणमांथी कोइपण सम्यक्त्व प्राप्त थयेला ज्ञानी साधु पुरुषने अत्यन्त ए-18 ॥२२२॥
कान्त बाधा रहित परमानंदरूप स्वतखनुं सुख जे आवरण रहित ज्ञान दर्शन (केवळज्ञान केवळदर्शन) प्राप्त थयेलाने मोक्षनुंज कारण
छे. अने आश्रवनो निरोध अने निर्जरानी माप्ति छे. तथा मूळ-उत्तर एवा वे भिन्न गुणो छे एवं चारित्र छे अने बीजा बधा व्रतोनी व वृत्ति (निर्वाह) नो कल्प उत्पन्न करेल छे, तथा निर्विघ्ने बधा पाणीने संघटन परिताप अपद्रावण विगेरेथी दुःख न देवारूप जे ससर्वोत्तम चारित्र छे. ते चारित्रनी सिद्धि माटे आ अध्ययन छे.
| मरणना अभावना प्रसंगथी पांचभूत रहित (चेतनरुप) आत्मानो धर्म केवळज्ञाननी प्राप्ति छे, जेथी एवा चारित्रनी तथा आत्मानी 18] तथा आत्माना गुणज्ञाननी तथा मोक्षनी प्राप्ति माटे आ सूत्रनुं अध्ययन छे ते बताव्यु हेR “ उपरना वाक्यथी ज्ञान प्राप्ति" तेथो बृहस्पतिना नास्तिक मतनुं खंडन कयु, कारण के ते पांच भूत माने छे ते भूतो जड छे 4 है अने आत्मा चेतन छे. तेनो गुणज्ञान छे ते बताव्युं छे. आ प्रमाणे सामान्यथी जीवनुं अस्तित्व स्वीकारी विशेषपणाथी जीवनो मो-& क्ष बताववादी बौद्ध विगेरे मतनुं खंडन थयु. कारण के जीवत्रणे काळमां होय तो तेना मोक्षनो संभव थाय.
एकेन्द्रिय पृथ्वी, पाणी, अग्नि, पवन, वनस्पति विगेरे भेदवाळा जीवोने बतावी अनुक्रमे समान जातीयवाला पत्थरनी शीला
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