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। स्वीकारे छे. आई द्रव्य गुणस्यावाद स्वरुपने बतावनार आपणां आचार्योए घगुं लख्युं छे माटे वधारे कहेता नथी. तेज नियुक्तिकार चिकिहे छे के बधा द्रव्यमा प्रधान एवा जीव द्रव्यमा गुण भेद वडे रहेल छे ते कहे छे.
सूत्रम् संकुचियवियसियत्तं, एसो जीवस्स होइ जीवगुणी । पूरेइ हंदि लोग, बहुप्पएसेत्तणगुणेणं ॥१७१॥ ॥२३५॥
॥२३५॥ जीव ते संयोगि वीर्यवाळो छतां, द्रव्य पणे प्रदेश संहार विसर्ग वडे आधारना वश पणायी दीवानी माफक संकोच अने विकाश पामे छे. जीवनो आज गुण आत्मानी साथे आत्मभूत थइ रहेल छे, आम भेद विना पण छट्ठी विभक्तिनो संबंध थाय छे. जेम के राहुनुं माथु. शिला पुत्रक (दस्तो. या वाटा) नुं शरीर विगेरे छे. तेज भवमा सात समुद्घात (आत्मानुं वधq घटवू ते)
ना परवशपणाथी आत्मा संकोच विकोच :पामे छे, तेज कहे छे. बरोबर रीते चारे बाजु जोरथो हणQ. अने आत्म प्रदेशोने 8 आमतेम फेंकQ. ए समुद्घात छे, ए सात समुद्घातनां नाम बतावे छे. कषाय, वेदना; मारण अंतिक, वैक्रिय, । तेजस, आहारक, अने केवलि समुद्घात छे. तेमां प्रथमनो कषाय. समुद्घात. अनतानुबंधो क्रोध विगेरेथी, जेनुं चित्त (ज्ञान) P नाश पाम्युं छे, तेओ पोताना आत्माना प्रदेशने आम तेम फेंके छे. तथा अतिशय वेदना थतां नाडीओ तूटतां वेदना समुद्घात थाय 15 अने मरवानी अणीमा जीव आम तेम उत्पन्न थवाना प्रदेशमा लोकना अंत सुधी आत्म प्रदेशोने पोते वारंवार फेंके छे. अने संकोची
ले छे. वैक्रिय समुद्घात वैक्रिय लब्धिवाळो, नवु वैक्रिय शरीर बनाववा माटे , आत्म प्रदेशोने बहार काढे छे, तेज प्रमाणे तेजस || । शरीर बनावया तथा तेजोलेश्यानी लब्धिवालो तपस्वी तेजोलेश्या फेंका वखते तेजस समुद्यात करे छे तथा आहारक शरीर है
बकल.
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