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आचा०
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जीवोने तथा तेना मेदो पृथ्वी बिगेरे तथा तेनी गति आ गतिने बीजो पण जाणे छे. बीजा जीवो तीर्थकर शिवाय अतिशय ज्ञानी एवा केवळी विगेरे पासे सांभळीने जाणे छे अने जे जाणे छे ते सूत्र अवयव बतावे छे. के हु पूर्व दिशाथी आप्पो छु के दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, उंची, नीची के बीजी कोई दिशा विदिशामांथी आथ्यो . एवं विशिष्ट क्षय उपशम आदिवाळाने तीर्थकर तथा अन्य अतिशयज्ञानी एवा पुरुषोए जेमने बोध भावेलो छे तेमने आज्ञान होय छे, तथा प्रति विशिष्ट दिशामांथी आगमनना परिज्ञान शिवाय बीजुं पण आ ज्ञान सेने थाय छे के जेम हूं पूर्वे इतो तेम जाणु छ अने हवे पछी मारा आ शरीरनो अधिष्टावा (आत्मा) ज्ञान दर्शन, उपयोग लक्षणत्राको उपपादुक ( भवांतरमां जनारो ) अने असर्व गत ( शरीर मात्र प्रमाण वाळी ) मोक्ता मूर्ति रहित, अविनाशी, शरीर व्यापी, इत्यादि गुणवाळो मारो आत्मा छे. ते आत्माना आठ भेद छे द्रव्य, कषाय, योग, उपयोग ज्ञान, दर्शन, चारित्र, वीर्य आत्मा, एम आठ प्रकारे छे, तेमां अहिंआ मुख्यत्वे उपयोग आत्मावडे अधिकार छे. अने बाकीना भेदो तेना अंश तरीके उपयोगमां लेवाय छे, तेथी बताया छे.
माणे मारो आत्मा छे. जे अमुक दिशामांथी के विदिशामांथी गति प्रायोग्य कर्मना उपादानथी तेने अनुसारे वाले छे. पाठान्तरमां अनुसंचरतीने बदले अनुसंसरह पाठ छे. तेनो अर्थ आ प्रमाणे छे के दिशा विदिशाओनुं गमन अथवा भावदिशामांथी आगमन, तेने याद आवे छे, हवे सूत्र अवयव वडे पूर्वना सूचना कहेला अर्थने उपसंहरे छे. (बतावे छे.)
. बधी दिशाओ अने अनुदिशाओमांथी जे आवेलो छे अने अनुसंवरे छे. अथवा अनुसरे छे. ते हु' एवो उल्लेख करवावडे आ त्मानो भाव सिद्ध थाय छे। अने पूर्व विगेरे मज्ञापक दिशाओ बधी ग्रहण करी छे। अने भाव दिशाओ पण लीधी छे आ कहेला
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सूत्रम
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