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सूत्रम्
मोक्ष आफ्नारा चारित्र धर्ममा पोतानी संपूर्ण शक्तिथी उद्यम न करवो ? ) हवे उदेशानो अर्थाधिकार शस्त्र परिज्ञानो आप्रमाणे छे. आचाजीवो छकायपरुवणाय तेसिं वहे य बंधोति । विरईए अहिगारो सस्थपरिणाएँ णायवो ॥ ३५॥
3 तेमा पहेला उद्देशामा सामान्यपणे जीवनुं अस्तित्व सिद्ध करतु. अने बाकीना उद्देशामां विशेष प्रकारे पृथिवीकाय विगेरेनु अ-18 तस्तित्व बतावq. अने बधाओने छेडे जे कर्मनु बंधन छे तेनी विरति बतायवी. आ छेडे मूकेल होवाथी मत्येक उद्देशाना विषयमा
जोहवं. पहेला उद्देशामा जीवनु वर्णन, तेना वधथी बंधन, अने तेनाथी पाछा हठ ते विरति छे. अहिं शस्त्र परिक्षा ए नाममा । बे पद छे. तेमां पहेला शस्त्र पदना निक्षेपा बतावे .
दव्वं सत्थग्गिविसन्नेहंबिलखारलोणमाईयं । भावो य दुप्पउत्तो वायाकाओ अविरई या ॥ ३६ ।। KI शस्त्रना निक्षेपा नाम विगेरे चार प्रकारे छे. व्यतिरिक्त द्रव्य शस्त्र ते तलवार विगेरे अग्नि, विष, स्नेह, (धी तेल विगेरे) अम्ल
क्षार, लवण, ( मीठं विगेरे ) छे. भावशस्त्र ते दुष्ट ध्यान छे एटले अंतःकरण तथा वचन अने कायामां जे अविरति छे. ते जी-|
वोने घात करनारी होवाथी दुष्प वृत्ति छे से भावशस्त्र जाण हवे परिज्ञाना पण चार निक्षेपा कहे छे.) ४दव्वं जाणण पच्चक्खाणे दविए सरीर उवगरणे। भावपरिपणा जाणण पञ्चक्खाणं च भावेण ॥ ३७॥
द्रव्य परिक्षा चे प्रकारे छे. तेमांश परिक्षा भने प्रत्याख्यान परिज्ञा छे. ज्ञ परिज्ञाना बे भेद छे. आगमथी अने नो आगमथी. A आगमथी ज्ञाता पण तेनो उपयोग न होय, नो आगमथी प्रण प्रकारे छे. तेमांव शरीर अने भव्य शरीर शिवाय व्यतिरिक्त द्रव्य
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