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आचा०
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पदार्थों ने आज्ञावडे एटले जिनेश्वरन वचननी यह मान्यताथी सारी रीते जाणीने आ अपकायना जीवो छ. एवं मानीने तेमने कोइ प्रकारे भय न याय एवो अकृतो भय संयम पाळवो अथवा अकुतो भय एटले अपका जीवनो समूह छे ते कांइथी भय न वांच्छे, कारण के तेमने पण मरणानी बीफ लागे छे. माटे भगवाननी आज्ञाथी तेनी रक्षा करवी तेमनी रक्षा माटे शुं करखं ते कहे छे. से बेमि व सयं लोगं अब्भाइक्खिजा णेत्र अत्ताणं अभाइ क्खिजा, जे लोयं अभाइक्खड़, से अत्ताणं अब्भाइवखइ जे अत्ताणं अब्भाइक्खड़ से लोयं अभाइक्खर (सु० २२ )
स्वामी कहे छे के हे जंबू जे में भगवान पासे सांभळ्युं छे. तेज सने कहुं हुं पण कल्पना करीने नथी कहेतो. आ अपका जीवनो समूह जीव छे. एम हुं जे कहु हु में अचोरने चोर कहेबा माफक जुनुं नथी कहेतो, कोइ एम कहे के, अपकाय जीव, नथी, फक्त घी, तेल, विगेरे जेम उपकरण के तेम ते उपकरण मात्र छे. आ असत् अभियोग छे. कारण के हाथी विगेरेमां पण करणपणुं आवी जशे तेथी शंका थशे के हाथीमां जीव छे के नहि ?
शंका- आज अभ्याख्यान छे के तमो अजीवाने जीवपणुं आपो छो. आचार्यनुं समाधान, एम नथी. अमे पूर्वे पाणीनुं सचेतन पशुं सिद्ध कर्तुं छे. जेम आ शरीरनो हुं विगेरे हेतु सहित आत्मा अधिष्ठित छे एटले शरीरथी आत्मा जुदो छे. एवं पूर्वे साध्यं छे. एज प्रमाणे अपकाय पण अव्यक्त चेतन बढे पूर्वे सचेतन साध्यो छे अने साधेलाने अभ्याख्यान कहेतुं, ते न्याय नथी, बळी बादी कहे छे के आत्माने पण शरीरनो अधिाता मानवो ते अभ्याख्यान छे. कारण के वे क्रिया करतो युक्तिमां घटतो नथी,
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सूत्रम
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