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अभय रत्नसार। मांहि दु, मूला, गाजर, पीडाल, सूरण, सेलरां, काची आंबली, गोल्हां खाधां । चोमासा-प्रमुख-मांहे वासी कठोलनी रोटी खाधी। त्रिहुं दिवस- दही लीधुं । मधू, महुडां, माखण, माटी, वेंगण, पीलू, पीच, पपोटा, पींपो, विष, हिम, करहा, घोलवडां, अणजाण्यां फल, टींबरुं, अथाj, आमणबोर, काचुमीटु, तिल, खसखस, काचां कोठिंबडां खाधां । रात्रि-भोजन कोधु। लगभगतो वेलाये व्यालू कीधु। दिवस उग्या विण शिराव्या। तथा पन्नरे कर्मादान-इंगालि-कम्मे, वण-कम्मे, साडी-कम्मे, भाडी-कम्मे, फोडी-कम्मे, दंतवाणिज्ये, लाक्षा-वाणिज्ये, रस-वाणिज्ये, केशवाणिज्ये, विष-वाणिज्ये, जंतपीलण-कम्मे, नीलं छण-कम्मे, दवग्गि-दावणया, सरदह-तलावसोसणया, असई-पोसणया, ए-पांचकर्म, पांच वाणिज्य, पांच सामान्य, महारंभ लीहाला
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