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वृहद्-अतिचार। खले पराई वस्तु अणमोकलावी लीधी, दीधी, वावरी। चोरीनी वस्तु मोल लोधी। चोर, धाडी प्रतें संबल दीधं, संकेत का। विरुद्ध राज्यातिक्रम कीधो । नवा पुराणा, सरस विरस सजीव निर्जीव वस्तु तणा भेल संभेल कोधा। खोटे तोले मान माप वहोरयां। दाण-चोरी कीधी । लाटे लांच लीधी। माता, पिता, पुत्र, कलत्र, परिवार वंची जूदी गांठ कीधी। किण हीने लेखे पलेखे भूलव्यु। पडी वस्तु ओलवी लीधी। प्रोजे अदत्तादान-व्रत विषइओ०॥३॥ ___चोथे स्वदार-संतोष मैथुन व्रतें पांच अतिचार ॥ अपरिग्गहिया इत्तर, अणंग-वीवाहतिव्व-अणुरागे॥ अपरिगृहीतागमन, इत्वरपरिगृहिता-गमन, विधवा, वेश्या, स्त्री, कुलाङ्गना, स्वदार शोक तणे विष दृष्टिविपर्यास कीधो, सराग वचन बोल्यां, आठम चउदश अनेराई पव्वे तिथि तणा नियम भांग्या। घरघरणां
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