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भक्ष्याभक्ष्य विचार।
जानने योग्य विषय। अब जिन लोगोंने सचित्त पदार्थोंका सर्वथा त्याग कर रखा है, उन्हें यह बतलाया जाता है कि कौन-कौन चीजें सचित्त हैं
और वे कैस अचित्त बनायी जा सकती हैं तथा उनका व्यवहार कितने समय तक किया जाना चाहिये।
१ गेहू, बाजरा आदि नाज सवित्त है ; पर कुछ काल बाद अचित्त हो जाते हैं। उसका वर्णन श्राद्धविधि आदि अन्योंमें देखना चाहिये । मेथी भी अनाज है, यह याद रखना चाहिये। इन अनाजोंका आटा पीसने पर वह कैसे अवित्त होता है, यह हम पहले ही लिख चुके हैं। जबतक वे सचित्त रहते हैं, तबतक उनको काममें नहीं लाना चाहिये । चने आदिकी दाल अचित्त है; इसलिये उसका आटा (बेसन ) भी अचित्त है।
२ ताज ज्वार या चनेका चबेना मिश्र (अर्थात् सचित्त और अचित्त ) है, अतएव नहीं व्यवहार करना ।
३ सभी अभक्ष्य वस्तुएं सचित्त हैं, अतएव उनका त्याग करना अत्यन्त आवश्यक है।
४ सिंके हुए चने तथा और अनाज बालूमें भूने हुए हों तो बराबर अचित्त बनते हैं । अन्यथा कामके लायक नहीं होते ।।
५ धनिया, जीरा अजवाइन आदि कूट-पीस कर या आँच दिखानेसे अचित्त हो जाते हैं और तब व्यवहार में लाये जा सकते हैं, यों नहीं। दही, छाँछ आदिमें पड़ा हुआ सचित्त जीरा प्रासुक नहीं होता।
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