________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभय-रत्तसार।
अनारके सूखे हुए फूल, माजूफल, कवाबचीनो आदि गुणकारी वस्तुओंको मिलाकर दाँतका बढ़िया मजन तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा जानवरोंकी हड्डीके बने हुए ब्रूश भी काममें लाना उचित नहीं हैं।
१८-होटल-होटल, विश्रामगृह, भोजनालय, ब्राह्मणोकाबासा आदि नामोंसे कितने ही होटल नगरों में खुले हुए हैं। जिससे पूछो वही कहेगा, कि शुद्ध ब्राह्मणोंके हाथ की शुद्ध वस्तुएँ वहीं उसीके पास मिलती है, पर न तो उन सभीकी जात-पाँतका कुछ ठीक रहता है, न वहाँ अच्छी चीजें मिल सकती हैं। इस. लिये इन होटलोंमें खाना बहुत ही बुरा हैं। आजकल कुछ लोगोंकी मति तो ऐसी भ्रष्ट हो गयी है, कि छुताछूत, भक्ष्क्ष्याभक्ष्यका बिलकुल विचार ही छोड़ बैठे हैं और मुसलमानों तथा किस्तानोंके होटलसे मक्खन और पावरोटी माँग कर खाते हैं। न मालूम ये किस नरकमें जा कर पड़ेगें।
१६-पानी-आजकल जहाँ-तहाँ रास्तेमें और रेल-स्टेशनों पर नले लगी है जिनसे पानी लेकर मुसाफिर अपनी प्यास बुझाते हैं, पर यह बहुत बुरी बात है। बिना छना हुआ पानी शराबके बराबर कहा गया है। पीनेका पानी तो जरूर ही छान लेना चाहिये । वर्तन कभी जुंठे नहीं रहने देना चाहिये । पानीके बर्तन में जुठे लोटे आदि नहीं डालना चाहिये। जो बिना ढक कर नहीं रखा गया हो, उसे पीनेमें बड़ा दोष है। थोडी सी ला परवाहीमे असंख्य जीवोंका नाश हो जाता है। इसलिये पानीके विषयमें प्रत्येक भाई-बहनको पूरी सावधानी रखनी चाहिये।
For Private And Personal Use Only