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भक्ष्याभच्य विचार |
ये । जहाँतक हो सके, तुरतका दुहा हुआ दूध झटपट गरम कर लेना चाहिये, नहीं तो उसके बिगड़ने का डर रहता है । बिना छाने दूध नहीं पीना चाहिये | जैनशास्त्रोंमें इन ७ चीजोंका छान लेना बहुत जरुरी बताया गया है ।
(१) मीठा पानी (२) खारा पानी (३) गरमपानी (४) दूध (५) घी (६) तेल और (७) आटा ।
दुध बेचने वाले अकसर दूधमें पानी मिला देते हैं । उन्हें इसका विचार नहीं रहता, कि उस पानी में कीड़े हैं या बाल हैं या वह पानी छना हुआ है या नहीं |
गाय, भैंस, बकरी और भेंड़का दूध तो ग्रहण करने योग्य है और किसी जानवरका नहीं । जो दूध जल्द बिगड़ जाता है, वह रोग उत्पन्न करता है ।
२०, घी -- घीका रुप, रस, गन्ध, स्पर्श बिगड़ जाय, तो वह अभय हो जाता है । बहुत दिनका रखा हुआ घी भी बिगड़ जाता है।
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