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अभय-रत्नसार। ७१५ आज कल बहुतसे बेईमान घीके व्यापारी चर्बी, रतालू आदि मिला कर घी बेचते हैं। इधर कई दिनोंसे तो “वनस्पति-घृत"के नामसे एक प्रकारका विलायती घी बिकने लगा है । यह सब अभक्ष्य हैं। इसकी ओर सबको ध्यान देना चाहिये। घी बनानेवाले यदि मक्खनसे घी निकाल कर तुरत आग पर रख गरम कर लिया करें तो ठीक हैं' नहीं तो अक्सर देखा जाता है, कि वे दो-चार या पाँच-सात दिनका इकट्ठा हुआ मक्खन लेकर घी बनाते हैं। जिनके घरमें गाय भैंस हो, उन्हें तो अपने घर घी तैयार करनेकी चेष्टा करनी चाहिये।
२१-बलि-हालकी व्यायी हुई गाय-भैंसके तुरत दुहे हुए दूधको बलि बनती है। व्यायी हुई गायका दूध १० दिन, भैंसका १५ दिन, बकरीका ८ दिन तक ग्रहण करने योग्य नहीं है। ___२२-खट्टी पकौड़ी—जो चाँवल, उरद या चनेकी दालकी दहीमें पकौड़ी बनायी जाती
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