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अभय-रत्तसार ।
है। इस प्रकार दूध, दही, छाँछु मटू का जोसमय कहा गया है। उसके पहले भी यदि उनका रुप, रस, गन्ध बिगड़ जाये तो उन्हें अभक्षय जानना चाहिये।
१६, दूध -- दूध चार पहर तक भक्ष्य रहता है; पर साँझका दुहा हुआ दूध आधी रातके पहले ही इस्तेमालमें आजाना चाहिये। कभी-कभी गरमीके दिनोंमें कड़ी गरमीमें, बड़ी देर तक बिना गरम किये छोड़ देनेसे बिगड़ जाता है; पर उसे दही समझ कर काममें नहीं लाना चाहिये; क्यों कि उस दूधका वर्णादिक पलट जानेसे वह अभक्ष्य हो जाता है। आजकल बहुत से दूध बेचनेवाले रातको दूध खूब गरम करके उसमेसे मलाई निकाल लेते हैं । और उसमें अरारोट मिलाकर सवेरे ताजा दूध कहकर उसी को बेचदेते हैं । इसका पूरा ख़याल रखना ।
बिगड़े हुए या बासी दूधका दही, खीर, बसौंधी,मलाई, खोआ आदि नहीं खाना चाहि
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