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७०८ भक्ष्याभक्ष्य विचार । पापड़ प्रतिदिन फेरफार कर देखते रहना चाहिये। भरसक तो इस ऋतुमें इन्हें काममें नहीं लानाही अच्छा है। ऐसी चीजें बनी रखी हो, तो आषाढ़ सुदी १५ के पहले ही खाडालना चाहिये और फिर कार्तिक सुदी १५ के बाद बनाना चाहिये। बाजारकी बनी हुई ये चीजें तो खानी ही नहीं चाहिये। श्राद्ध-विधिमे लिखा है, कि चौमासेमे सेव, बड़ी और पापड़ नहीं खाना चाहिये। ____८, दूधपाक—बसौंधी, खीर, सिखरन. दूध मलाई आदि चीजें दूसरे दिन बासी हो जाती हैं। इसलिये अभक्ष्य हो जाती हैं। रातको भी ये चीजें अभक्ष्य होती हैं। दही या दहीकी मलाईके विषयमें भी यही समझना चाहिये। ____६, आम-आद्रा-नक्षत्रके बाद आमका रस चलित होने लगता है, इसलिये आम अभक्ष्य हो जाता है । सड़े हुए, उतरे हुए, बदबूदार आम एक दम अभक्ष्य हैं। चूसकर खानेकी अपेक्षा रस निचोड़कर खाना ठीक है। यह रस भी
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