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अभय-रत्नसार ।
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पीलिया करती था; पर आजकलके ज़माने में तो इसमें अपनो हलकाई समझी जाती है ।
२ जलेबी - जिस तरिकेसे जलेबी बनायी जाती है, वह बहुतही ख़राब है। उससे बहुतसे जीवोंकी उप्तत्ति होनेका भय रहता है । मेदेको कई दिन रखे बिना और उसमें कुछ खटाई डाले विना जलेबी फूलती नहीं है । इसलिये इसे तो कभी खाना ही नहीं चाहिये। बाजारकी तो
और भी ख़राब होती है ।
३ हलवा --- हलवा यदि जिस दिन बने उसी दिन खाया जाये, तो भक्ष्य है । नहीं तो अभक्ष्य है | बासि तो खाना ही नहीं चाहिये ।
४ इमरती - यह जलेबी की सी होती है । पर इसमें बासी या खट्टी मैदानी काममें नहीं आती, अतएव जिस दिनकी बनी हो उस दिन खाने में कोई हर्ज नहीं है। दूसरे दिन अभक्ष्य हो जाती है ।
५. मावा (खोया) – दूधका मावा जिस
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