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अभय-रत्नसार ।
रातको कभी चूल्हा नहीं जलाना चाहिये।
चलित रसके सम्बन्धमें अन्य सूचनाएं । १ आटा-बिना छलनीमें चाला हुआ आटा पीसने के बाद कुछ दिनोंतक मित्र ( यानी कुछ सचित्त और कुछ अचित्त) रहता है-इसके बाद वह अचित्त हो जाता है। सावन-भादोंमें विना चाला हुआ आटा पांच दिनोंतक मिश्र रहता है। आश्विन-कातिकमें चार दिन, मगसर-पूसमें ; ३ दीन ; माघ-फगुनमें पांचपहर ; चैत्र-बैसाखमें चार पहर ; जेठ असाढ़में तीन पहर । इसके बाद वह अचित्त हा जाता है। और जिस दिन आटा पोसा गया हो, उसी दिन चाल लिया गया हो तो सभी ऋतुओंमें उसी दिन अचित्त हो जाता है और दा घड़ी बाद मुनि महाराज भी उसे खा सकते हैं। अचित्त हो गये हुए आटेमें भी वर्ण, गन्ध, रसका परिबर्तन हो गया हो तो वह अभक्ष्य हो जाता है। अगर उसमें कीड़े पड़ गये हो, तो उसे चाल कर
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