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भक्ष्याभक्ष्य विचार |
तक काममें लाये, मध्यम यह है, कि २० दिन तक काममें लाये और लाचारी दर्जे एक महीने तक उसे खा सकते हैं । यदि बनाने में ही कच्ची रह जाये, तो उस दिनकी बनी हुई उसी दिन अभदय हो जाती है । शास्त्रमें जितना समय दिया हुआ है, उसके बाद पदार्थ के च लित-रस हो जानेसे उसमें असंख्य दो इन्द्रि - योंवाले जीव उपन्न हो जाते हैं । इसलिये श्रावकों को चाहिये कि, बासी चीजें कभी न खायें। भोजनकी थालीमं जठा भी नहीं छोड़ना चाहिये | बल्कि खानेके बाद थाली धोकर पी लेना चाहिये । यदि खाने से बच्चा हुआ अन्न किसी जानवरको दे दिया जाये, तो और भी अच्छा है । दिनकी बनी चीजें सूर्यास्त के पहले खा लेनी चाहिये । रातकी बनी चीजें सवेरे खाना उचित नहीं । सवेरे सूर्यकी किरणें निकलनेके बाद चूल्हा जलाना और सूर्यास्त होते ही उसे बुझा देना चाहिये । अर्थात
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