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७०० भक्ष्याभक्ष्य विचार । हैं। यह काम और निद्राको बढ़ानेवाली चीज़ है। इससे पित्तवाले रोग होते हैं । इसे खाना एकदम मना है। इसका तो आचार वगैरह कभी बनना ही नहीं चाहिये । रोग और पापके इस आगारको तो तिलाञ्जलि ही दे देनी चाहिये।
१६ अनजाने फल-जिस फलका नाम नहीं मालम हो, जिसे कोई न खाता हो. उसका फल या फल कभी नहीं खाना चाहिये। उसके गुण-दोषका जब पता ही नहीं, तब कौन जाने वह जहर ही हो ? इसलिये उसका सदव त्याग ही करना उचित है।
२० तुच्छफल-जो असार पदार्थ तृप्तिकारक नहीं हो, जैसे खट्टे जामुन, पीलू, पीच. गुण्डी, आमकी केरियों, आदि तुच्छ फल हैं। चना, मटर, ग्वार, बाजरा, शमी आदि केवल तथा अन्य फलोंको जो अत्यन्त कोमल होते हैं। तुच्छ ही जानना, क्योंकि कोमल अवस्थामें
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