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अभय रत्नसार। नहीं तो अभक्ष्य है। राई तथा सरसों द्विदल नहीं है, क्योंकि उनमें तेल होता है। सिखरनके साथ भी द्विदलका स्पर्श नहीं करना चाहिये। स्पर्शदोष टालनेके लिये दाख, केला खजर वगैरहका रायता भी गोरस गरम करके बनाना चाहिये । यदि गेहूँ या बाजरेकी रोटीके साथ कचा गोरस खानेको इच्छा हो तो द्विदलवाले वर्त्तन, हाथ, मुह आदिधोकर ही विदलपदार्थ भोजन करने चाहिये। कहनेका तात्पर्य यह कि किसी प्रकार द्विदल-पदार्थके साथ कच्चं दध-दही छांछकी छाछत नहीं होनी चाहिये। गोरस खूब गरम कर लेनेपर उसके साथ द्विदलके संयोगसे कोई दोष नहीं होता। इसलिये कढ़ी, बड़े या रायता बनाते समय गोरसको खब गरम कर लेना चाहिये।
१८ बैगन-सब तरहके बैगन खाना छोड़ देना चाहिये; क्योंकि इसमें बहुत बीज होते हैंइसके मुंहपर सूक्ष्म त्रस-जोव (कीड़े) होते
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