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भक्ष्याभक्ष्य विचार ।
सबको द्विदल कहते हैं,--जैसे, चना, मूग, अरहर, उड़द, बजरा, मका, कुलथी, मटर, ग्वार, मसूर आदि। इनकी दाल, पकौड़ी, भाजी चाहे कुछ बनाकर खाइये। इसके साथ अगर दूध, दही या मठेका संयोग होता है, तो तुरत ही दो इन्द्रियोंवाले जीव उत्पन्न होते हैं। छाछ, दूध या दहीको खूब गरम करके अथवा गरम करनेके बाद ठंडे पानीमें मिलाकर किसी विदल पदार्थके साथ मिलानेसे दोष नहीं होता। मेथी ग्वार या अन्य बिना तेजवाले पदार्थो के पत्तोंका साग, मटर, चना, ग्वारकी फली, मगकी फली मटरकी फली, हरे चनेके पत्तोंके साग, सुखौंते या आचार अथवा दालमोठ, बुदिया, गांठिया आदि तले हुए पदार्थों के साथ तथा उड़द, मूग, आदिके पापड़ या बड़ेके साथ या मेथी पड़े हुए अचारमें कचा गोरस (दूध, दही या मठा) नहीं डालना चाहिये। दही-बड़ा अगर उबाले हुए गोरसका हो तो उसो दिन, खाना,
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