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अभय रत्नसार ।
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उनका आकार सरसों बराबर भी हो जाय, तो उनकी गिनती इतनी अधिक होती है, कि फिर तो वे सारे जम्बूद्वीपमें भी न समा सकें । परन्तु चूंकि पानीके बिना प्राणीका जोना ही कठिन है, इसलिये अवश्यक्ता अनुसार खर्च करना पड़ता
| परन्तु उसीका जमा हुआ रूप जो बर्फ है, उसमें तो और भी बहुतसे जीव इकट्ठे होकर मर जाते हैं, इसलिये थोड़ी देरके स्वाद के लिये ऐसी चोज कभी न पीना । बहुत गरमी मालूम पड़े तो चन्दनका लेप करे या बादाम तथा चन्दनक शरबत पिये ।
कुदरती बर्फ या ओलेका पानी भी नहीं पीना चाहिये ; क्योंकि उस पानीमें असंख्य जीव होते हैं । यह तीर्थंकर महाराजका ही किया हुआ निषेध है। आइसक्रीम, आइस वाटर, इस सोडा, कुलफी आदि बर्फ की बनी चीजों का भी त्याग करना चाहिये ।
११ विष - भाँग, अफीम, बच्छनाग, हर
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