________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
६८६ भक्ष्याभक्ष्य विचार। कमजार देखते हैं, तब इस विषयको हँसीदिल्लगीमें ले आते हैं। - य्यारे पाठक और पाठिकाओं शास्त्रकारोंने भक्षयाभक्ष्यके सम्बन्धमें जो अमूल्य उपदेश दिया है, वह वास्तवमें हम लोगोंके लिये बड़ा ही उपकार का काम किया है। यदि हम लोग भक्ष्य और अभक्ष्य पदार्थोंको शास्त्रके अनुसार समझ कर काममें लिया करें तो हमारे लिये बड़ा ही लाभदायो है। शास्त्रकारोंने अभक्ष्य पदार्थों का त्याग किया है, वह वास्तवमें सोच-समझ कर ही किया है। इस नियमके पालनसे सिवा लाभके किसी तरहकी हानि नहीं।
अभक्ष्य पदार्थोके खानेसे अनेक स्त्री-पुरुष रोग-ग्रस्त और कमजोर हो गये हैं। ऐसे अनेक दृष्टान्त पढ़ने और सुनने में आते हैं, कि अज्ञात फलके खानेसे कई स्त्री-पुरुषोंने अपने प्राणोंसे हाथ धोये हैं, कईयोंके हाथ-पाऊँ गल गये हैं। कई अभक्ष्य पदार्थ ऐसे भी हैं, जिनके खानेसे
For Private And Personal Use Only