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पूजा-संग्रह।
क्खाण" का तप करना चाहें, वे पहले दिन नवकारसी, दुसरे दिन पोरसी, इस तरह क्रमशः स्तवन में बतलाये अनुसार दस दिन तक दसों पञ्चक्खाण करें । साथही स्तवनको भी पढ़ें या श्रवण करें । और दस दिन पूरे हो जानेपर अपनी शक्तिके अनुसार उजमणा करवावें। इस तपस्या करने वालेको दुर्गतिका नाश होकर उत्तम गतीकी प्राप्ती होती है। महान ऐश्वर्य शाली और भाग्यवान होता है।
वीश स्थानक-त्पका स्तवन । श्रो सिद्धाचल भेटिय-ए देशी ॥ वीस थानक तप सेविय, धर कर शुभ परिणाम लाल रे। तीजै भव सेव्यो थको, बांधे तीर्थंकर नाम लाल रे ॥वी० १॥ तप रचना अधिकी कही, ज्ञाताअंग मझार लालरे। सुणजो भवि तुमे भावसु, चित्तसें करिय उच्चार लाल रे ॥वी० २॥ सुविहित गुरु पासे ग्रहै, वीस थानक तप एह लाल रे। निरदूषण शुभ महुरते, उचरीजै सस
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