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पूजा-संग्रह |
फिर खमासमण कहे। बाद 'इच्छा' कह कर "समायिक पारु' ? कहे। गुरुके 'पुणो वि कायव्वो' कहने के बाद 'यथाशक्ति' कह कर खमासमणपूर्वक 'इच्छा' कह कर 'समायिक पारेमि?' कहे, जब गुरु 'आयारो न मोत्तव्वो' कहे तब 'तहत्त' कह कर आधा अंग नवाँ कर खड़े ही खड़े तीन नमुक्कार पढ़े और पीछे घुटने टेक कर तथा सिर नवाँ कर 'भयवं दसन्नभद्दो' इत्यादि पाँच गाथाएँ पढ़ तथा 'सामायिक विधिसे लिया' इत्यादि कहे।
संध्याकालीन सामायिक की विधि | दिनके अन्तिम प्रहर में पौषधशाला आदि किसी एकान्त स्थानमें जाकर उस स्थानका तथा वस्त्रका पडिलेहन करे । अगर देरी होगई हो तो दृष्टि - पडिलेहन कर लेवे । फिर गुरु या स्थापनाचार्य के सामने बैठ कर भूमिका प्रमार्जन करके बाई ओर आसन रख कर खमासमण-पूर्वक 'इच्छा ०' कह कर 'सामायिक मुहर्षात्त पडिले हुँ ?'
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